Tuesday, February 22, 2011

समानता


जिन्दगी और बादल

एक दूसरे से कितना मिलते हैं,

आसमां में हों तो जमी से

ज़मी में हों तो आसमां से

मिलने को तड़फ़ते हैं।

बादल हवा से पानी की बुंदों को बीन

आशियाना बनाता है,

जिन्दगी हवा में बिखरी यादों

को बीन के आशियाना बनाती है,

बादलों के आगोश में दरिया है

जिन्दगी आंखों से दरिया बहाती है,

तेज हवा का झौंका

बादलों कहीं ले जाता है,

वक्त की आंधी में

जिन्दगी कहीं खो जाती है।

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