
एक दर्द सा दिल में ,
एक उलझन सी है
ना जाने क्यों ये पलके,
बोझिल सी है.
रात में ख्वाब अब
आते ही नहीं,
बिन तुझसे मिले
जिंदगी बिस्मिल सी है.
मुस्कराहट की रिदा छुपा रही है
ग़म की तहरीर,
यूँ तो किताब-ए-जीस्त
खुली-खुली सी है.
तेरे जाते ही
हसरतों ने दम तोड़ दिया,
तेरे जाते ही जान लिया
बिन तेरे जिंदगी
कितनी मुश्किल सी है….
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