इठलाती, छ्नछनाती, उफ़नती नदी,
अपने यौवन में इतना गरूर ना कर,
तेरे सपने, तेरे अपने,
अपने यौवन में इतना गरूर ना कर,
तेरे सपने, तेरे अपने,
सब छूट जायेंगे,
तेरा साथ ये वादियाँ,
तेरा साथ ये वादियाँ,
ये साहिल के पत्थर,ये पेड़,
ये कोहरा, ये बादल
कोई भी ना निभायेंगे।
तू अविरल धारा की तरह
तू अविरल धारा की तरह
उफ़नती, फ़नफ़नाती,
मद मस्त हिचलोरे लेती
मद मस्त हिचलोरे लेती
कहां जा रही है ?
तेरा साथ तो साहिल ने भी नहीं दिया,
उससे टकरा-टकरा कर
तेरे ज़ज़बातों ने दम तोड़ा है।
तेरा हज़ारों से मिलना,बिछुड़ना
तेरा साथ तो साहिल ने भी नहीं दिया,
उससे टकरा-टकरा कर
तेरे ज़ज़बातों ने दम तोड़ा है।
तेरा हज़ारों से मिलना,बिछुड़ना
तेरी किस्मत नहीं।
तेरी वेदना, तेरा क्रंदन,
तेरी वेदना, तेरा क्रंदन,
तेरे दिल में उठे तूफ़ान
तुझे निरंतर समन्दर की ओर ले जाते हैं।
तेरी राह कितनी लंम्बी,
तुझे निरंतर समन्दर की ओर ले जाते हैं।
तेरी राह कितनी लंम्बी,
तेरा रास्ता कितना दुर्गम,
ये प्रक्रति कितनी निस्ठुर....
पर तेरा अंत सागर की गहराई है।
तू बहुत रूठी तो
ये प्रक्रति कितनी निस्ठुर....
पर तेरा अंत सागर की गहराई है।
तू बहुत रूठी तो
सूख जायेगी
बारिश तुझमें नया जीवन लायेगी।
तू फ़िर जी उठेगी
और समन्दर से मिलने दौड़ेगी।
वो तेरे रूठने से नहीं डरता
ना ही वो तेरे सूखने से डरता है।
उसे मालूम है,
हर मौसम में बारिश तो आयेगी
तुझे उस सागर से मिलायेगी।
तेरा इंतज़ार उसे है हर दम ,
हज़ारों लहरें दम तोड़ती हैं
फ़िर भी उस का दिल
बारिश तुझमें नया जीवन लायेगी।
तू फ़िर जी उठेगी
और समन्दर से मिलने दौड़ेगी।
वो तेरे रूठने से नहीं डरता
ना ही वो तेरे सूखने से डरता है।
उसे मालूम है,
हर मौसम में बारिश तो आयेगी
तुझे उस सागर से मिलायेगी।
तेरा इंतज़ार उसे है हर दम ,
हज़ारों लहरें दम तोड़ती हैं
फ़िर भी उस का दिल
धड़कता है हर दम.
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