Saturday, February 26, 2011

अब वो बात कहाँ.......

अब भी बरसते हैं बादल

पर वो बात कहां,

नीला-2 है अम्बर

पर वो आफ़ताब कहां,

है वही चमन, वही फसले गुल

पर तेरे खुशबू से महके

वो सुर्ख गुलाब कहां,

अब भी चलती हैं

सर्द हवाएँ बहुत

पर उन में ठिठुरते

वो ज़ज़्बात कहां,

आज भी सुबह होती है

दिन निकलता है

पर वो हसीन शाम कहां,

रोज़ होती है अब भी रात

पर वो हँसी ख्वाब कहां,

हर रोज जलते हैं

यादों के लाखों दिये

पर वो रोशन चिराग कहां……

Friday, February 25, 2011

आँख मिचोली...


सुबह की गोद में दम तोड़ती रात की सांसें,

शाम की गोद में सो जाता सूरज,

ये सिलसिला चल रहा वर्षों से।

सूरज के निकलते ही रात कहीं खो जाती

सूरज सारे दिन उसे तलाशता रहता

थक के शाम की गोद में सो जाता सूरज

उसे तलाशते तभी आ जाती रात

ये सिलसिला चल रहा वर्षों से।

निष्ठुर प्रक्रति को उनका मिलन नही मंजूर

उनकी इन्तज़ारी, बेक़रारी, जजबातों से

उसे क्या लेना- देना

उसे तो वक्त का दस्तूर निभाना है

रात को अंधेरे से

और सूरज को सवेरे से मिलाना है।

Tuesday, February 22, 2011

समानता


जिन्दगी और बादल

एक दूसरे से कितना मिलते हैं,

आसमां में हों तो जमी से

ज़मी में हों तो आसमां से

मिलने को तड़फ़ते हैं।

बादल हवा से पानी की बुंदों को बीन

आशियाना बनाता है,

जिन्दगी हवा में बिखरी यादों

को बीन के आशियाना बनाती है,

बादलों के आगोश में दरिया है

जिन्दगी आंखों से दरिया बहाती है,

तेज हवा का झौंका

बादलों कहीं ले जाता है,

वक्त की आंधी में

जिन्दगी कहीं खो जाती है।

Monday, February 21, 2011

बदलते रिश्ते...

आदमी, आदमी को जानता है,

पर उस के रिश्ते पुराने हो गये,

पहले मिलते थे, बैठते थे एक जगह

पर अब अलग-अलग ठिकाने हो गये,

किसी से मिल के खुश होना,

लिपट-लिपट के रोना अब कहां,

ये तो किस्से पुराने हो गये,

किसी को किसी से मिलने का

वक्त कहां, अब तो

ना मिलने के बहाने हो गये,

किसी का दर्द किसी के ज़ज़्बात

कौन समझेगा यहां,

खुद के तड़फ़ने के फ़साने हो गये,

आदमी, आदमी को जानता है,

पर उस के रिश्ते पुराने हो गये।

Sunday, February 20, 2011

एतबार

इठलाती, छ्नछनाती,
उफ़नती नदी,
अपने यौवन में इतना गरूर ना कर,
तेरे सपने, तेरे अपने,
सब छूट जायेंगे,
तेरा साथ ये वादियाँ,
ये साहिल के पत्थर,ये पेड़,
ये कोहरा, ये बादल
कोई भी ना निभायेंगे।
तू अविरल धारा की तरह
उफ़नती, फ़नफ़नाती,
मद मस्त हिचलोरे लेती
कहां जा रही है ?
तेरा साथ तो साहिल ने भी नहीं दिया,
उससे टकरा-टकरा कर
तेरे ज़ज़बातों ने दम तोड़ा है।
तेरा हज़ारों से मिलना,बिछुड़ना
तेरी किस्मत नहीं।
तेरी वेदना, तेरा क्रंदन,
तेरे दिल में उठे तूफ़ान
तुझे निरंतर समन्दर की ओर ले जाते हैं।
तेरी राह कितनी लंम्बी,
तेरा रास्ता कितना दुर्गम,
ये प्रक्रति कितनी निस्ठुर....
पर तेरा अंत सागर की गहराई है।
तू बहुत रूठी तो
सूख जायेगी
बारिश तुझमें नया जीवन लायेगी।
तू फ़िर जी उठेगी
और समन्दर से मिलने दौड़ेगी।
वो तेरे रूठने से नहीं डरता
ना ही वो तेरे सूखने से डरता है।
उसे मालूम है,
हर मौसम में बारिश तो आयेगी
तुझे उस सागर से मिलायेगी।
तेरा इंतज़ार उसे है हर दम ,
हज़ारों लहरें दम तोड़ती हैं
फ़िर भी उस का दिल
धड़कता है हर दम.

Friday, February 18, 2011

लगता है कोई आया है.....

एक हलचल सी है,

लगता है कोई आया है....

हवा गुनगुनाने लगी है

कोई फूल फिर मुस्कराया है.

लगता है कोई आया है....

खामोश हैं दर्द की वुसअतें1,

खामोश हैं शेरिश-ए-तूफां2,

हर सिम्त में है हसरत-ए-तब्बसुम3,

लगता है कोई आया है.....

उठा है दस्त-ए-दुआ4 आज भी,

शायद हाकिम को खबर ये है,

दिख रहे हैं सहरा पे किसी के नक़्शे-पा5,

लगता है कोई आया है......

1.विस्तार,2.तूफ़ान का उपद्रव,3.मुस्कराने की इच्छा, 4.दुआ के लिए उठा हाथ,5.क़दमों के निशान

Wednesday, February 16, 2011

मयखाना

साकी ओ साकी
पिला दे मुझको , पिला दे मुझको....
तेरे मयखाने में जाम नहीं है खाली,
एक नज़र तो देख
और नज़रों से पिला दे मुझको,
साकी ओ साकी
पिला दे मुझको , पिला दे मुझको..
तेरे मयखाने में दैर भी है,
हरम भी है,
खुदा भी है गर
तो उससे मिला दे मुझको.
साकी ओ साकी
पिला दे मुझको , पिला दे मुझको....
कौन कहता है
होश नहीं है मुझको,
जिसे है होश उससे मिला मुझको.
साकी ओ साकी
पिला दे मुझको , पिला दे मुझको.....

Tuesday, February 15, 2011

भ्रम जाल

पहिचान

वो अश्क

दर्द

एक दर्द सा दिल में ,

एक उलझन सी है

ना जाने क्यों ये पलके,

बोझिल सी है.

रात में ख्वाब अब

आते ही नहीं,

बिन तुझसे मिले

जिंदगी बिस्मिल सी है.

मुस्कराहट की रिदा छुपा रही है

ग़म की तहरीर,

यूँ तो किताब-ए-जीस्त

खुली-खुली सी है.

तेरे जाते ही

हसरतों ने दम तोड़ दिया,

तेरे जाते ही जान लिया

बिन तेरे जिंदगी

कितनी मुश्किल सी है….

Saturday, February 12, 2011

अनुरोध

चले जाओ मुझे छोड़ कर

और बसा लो

कोई दुनिया नई

याद आये मेरी तो

हवाओं से पूछ लेना

मुझे छू के बतायेंगी

तुझे हाल मेरा

आंसू आयें गर तो

चुपके से पोछ लेना…..

लोग पूछें तो बता देना

और दर्द कोई,

भूले से भी तुम

मेरा नाम न लेना…..

किये हैं तुझ पे सितम

याद है मुझको ,

तेरा मुज़रिम हूँ,

जो चाहे सजा दे देना.

Friday, February 11, 2011

फासले

है वही दरिया,

वही फसले गुल,

फ़र्क इतना है कि

तू साहिल पे

उस पार खढ़ा है.

करीब इतना है कि

नज़रो के सामने है तू,

फ़र्क इतना है कि

फासला बहुत है.