
अब भी बरसते हैं बादल
पर वो बात कहां,
नीला-2 है अम्बर
पर वो आफ़ताब कहां,
है वही चमन, वही फसले गुल
पर तेरे खुशबू से महके
वो सुर्ख गुलाब कहां,
अब भी चलती हैं
सर्द हवाएँ बहुत
पर उन में ठिठुरते
वो ज़ज़्बात कहां,
आज भी सुबह होती है
दिन निकलता है
पर वो हसीन शाम कहां,
रोज़ होती है अब भी रात
पर वो हँसी ख्वाब कहां,
हर रोज जलते हैं
यादों के लाखों दिये
पर वो रोशन चिराग कहां……







