Sunday, April 10, 2011

फुर्कत...


कौस--कुज़ह की तरह,
ये जिंदगी रंगीन हुआ करती थी,
आज सभी रंग खला में बिखरने के तुफैल,
जिन्दगी बर्फ की सफ़ेद चादर सी,
बेरंग नज़र आती है......



पास
कुछ भी नहीं है,
तसव्वर
के सिवा,
हर तस्वीर पे सूरत,
तेरी नज़र आती है.....

किताब--जीस्त में कैद हैं,
गुमगुस्ता लम्हे,
एक भूली हुई सी याद है,
जो बेवक्त चली आती है,........

उफक में डूबते सूरज की जौ में,
तेरे बालों का अफशा नज़र आता है,
शादाब हवा जब भी छूती है,
ऐसा लगता है जैसे तेरा लम्स हो.

2 comments:

  1. this is extremely beautiful..irshad irshad ..irshad.

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  2. कुछ कठिन शब्दों का अर्थ-
    फुरकत-------वियोग
    कुस-ए-कुजह------इन्द्रधनुष
    तुफैल-----कारण
    किताब-ए-जीस्त-------जिंदगी की किताब
    उफक--------छितिज़
    जौ------------------- प्रकाश
    अफशा-----सिन्दूर
    शादाब------शोख
    लम्स-------स्पर्श.

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