Thursday, April 14, 2011

इबादत ........

यूँ तो मंदिरों में आज भी,

जल रहे हैं दिये ,

हजारों की भीड़ में वो,

दस्ते-दुआ1 याद है।

उसके दयार पर,

मुख़्तसर2 बातें करो,

उसे मंज़र वो,

चश्मे-पुर-आब3 याद है।

हमने उस को सजदे,

बहुत बेसदा4 किये,

उसे वो बेज़ा5

मतालब6 याद है।


1-प्रार्थना का हाथ, 2-संक्षिप्त, 3-आंसू भरी आंखे, 4-बिना आवाज,

5- बेकार, 6- मांग

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