
यूँ तो मंदिरों में आज भी,
जल रहे हैं दिये ,
हजारों की भीड़ में वो,
दस्ते-दुआ1 याद है।
उसके दयार पर,
मुख़्तसर2 बातें करो,
उसे मंज़र वो,
चश्मे-पुर-आब3 याद है।
हमने उस को सजदे,
बहुत बेसदा4 किये,
उसे वो बेज़ा5
मतालब6 याद है।
1-प्रार्थना का हाथ, 2-संक्षिप्त, 3-आंसू भरी आंखे, 4-बिना आवाज,
5- बेकार, 6- मांग
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