टकरा के साहिल से,रेजा-रेजा हो के बिखर गए,
तसोवरात मौजो के,
ये अलग बात है,
देखने वालों को,
एक खूबसूरत,
कौस-ए कुज़ह नज़र आया......
बज़्म को रोशन करती रही
एक बेजुबान लौ,
शमा से पिघला हुआ मौम,
बयान करता रहा,
दर्द की ताबिश,
देखने वालों को ,
एक खूबसूरत जौ नज़र आयी....
इसी तरह नफस-नफस,
मरती रही एक जिंदगी,
बीते लम्हों का दर्द,
बयां करती रही,
देखने वालों को
एक खूबसूरत,
ग़ज़ल नज़र आयी.
No comments:
Post a Comment