Wednesday, May 11, 2011

तेरे शहर पे आज

कुछ अजीब सा हाल है,
तेरे शहर का आज,
बादल भी बहुत प्यासा है,
तेरे शहर का आज.

उस मोड़ पे छोड़ आया हूँ,
कुछ यादों के पैरहन,
बेनकाब खड़ी है हयात,
तेरे शहर पे आज.

इज्जत-ओ-दौलत-ओ-शोहरत,
सब लगा दी है दाँव पे,
नीलाम हुई है हयात,
तेरे शहर पे आज.....

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