अहसास को मन के दर्पण में प्रतिबिंबित कर प्रस्तुत करने का प्रयास..(Lyrics under this blog is protected by India Copyright Act 1957 all rights reserved with owner of the blog)
Wednesday, May 11, 2011
तेरे शहर पे आज
कुछ अजीब सा हाल है, तेरे शहर का आज, बादल भी बहुत प्यासा है, तेरे शहर का आज.
उस मोड़ पे छोड़ आया हूँ, कुछ यादों के पैरहन, बेनकाब खड़ी है हयात, तेरे शहर पे आज.
इज्जत-ओ-दौलत-ओ-शोहरत, सब लगा दी है दाँव पे, नीलाम हुई है हयात, तेरे शहर पे आज.....
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